श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 12: कृतघ्नकी गति और प्रायश्चित्तका वर्णन तथा स्त्री-पुरुषके संयोगमें स्त्रीको ही अधिक सुख होनेके सम्बन्धमें भंगास्वनका उपाख्यान  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  13.12.15 
व्यायामे कर्कशत्वं च वीर्यं च पुरुषे गुणा:।
पौरुषं विप्रणष्टं वै स्त्रीत्वं केनापि मेऽभवत्॥ १५॥
 
 
अनुवाद
परिश्रम में कठोरता, बल और पराक्रम ये पुरुष के गुण हैं। मेरा पुरुषत्व नष्ट हो गया और अज्ञात कारण से मुझमें स्त्रीत्व प्रकट हो गया।॥15॥
 
‘Hardness in hard work and strength and valour are the qualities of a man. My manliness was destroyed and due to some unknown reason, femininity appeared in me.॥ 15॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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