श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 12: कृतघ्नकी गति और प्रायश्चित्तका वर्णन तथा स्त्री-पुरुषके संयोगमें स्त्रीको ही अधिक सुख होनेके सम्बन्धमें भंगास्वनका उपाख्यान  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  13.12.1 
युधिष्ठिर उवाच
स्त्रीपुंसयो: सम्प्रयोगे स्पर्श: कस्याधिको भवेत्।
एतस्मिन् संशये राजन् यथावद् वक्तुमर्हसि॥ १॥
 
 
अनुवाद
युधिष्ठिर ने पूछा - राजन ! स्त्री-पुरुष के संयोग में कौन अधिक कामसुख का अनुभव करता है (स्त्री या पुरुष) ? कृपया इस शंका का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए ॥1॥
 
Yudhishthir asked – King! In the union between a man and a woman, who experiences sexual pleasure more (woman or man)? Please explain this doubt in detail. 1॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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