श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 117: पापसे छूटनेके उपाय तथा अन्नदानकी विशेष महिमा  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  13.117.2 
कृत्वा कर्माणि पापानि कथं यान्ति शुभां गतिम्।
कर्मणा च कृतेनेह केन यान्ति शुभां गतिम्॥ २॥
 
 
अनुवाद
पापकर्म करके मनुष्य किस प्रकार उत्तम गति को प्राप्त होते हैं और कौन-सा कर्म करके वे उत्तम गति को प्राप्त होते हैं? ॥2॥
 
How do men achieve good fortune after committing sinful acts, and by performing which deed do they attain the best destination? ॥2॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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