श्री महाभारत » पर्व 13: अनुशासन पर्व » अध्याय 117: पापसे छूटनेके उपाय तथा अन्नदानकी विशेष महिमा » श्लोक 11 |
|
| | श्लोक 13.117.11  | प्राणा ह्यन्नं मनुष्याणां तस्माज्जन्तुश्च जायते।
अन्ने प्रतिष्ठितो लोकस्तस्मादन्नं प्रशस्यते॥ ११॥ | | | अनुवाद | अन्न ही मनुष्य का जीवन है, अन्न से ही जीवों की उत्पत्ति होती है, सम्पूर्ण जगत अन्न पर आधारित है। इसीलिए अन्न को सर्वोत्तम माना गया है। | | Food is the life of human beings, living beings are born from food, the whole world is based on food. That is why food is considered the best. |
| ✨ ai-generated | |
|
|