श्री महाभारत » पर्व 13: अनुशासन पर्व » अध्याय 117: पापसे छूटनेके उपाय तथा अन्नदानकी विशेष महिमा » श्लोक 10 |
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| | श्लोक 13.117.10  | सर्वेषामेव दानानामन्नं श्रेष्ठमुदाहृतम्।
पूर्वमन्नं प्रदातव्यमृजुना धर्ममिच्छता॥ १०॥ | | | अनुवाद | सभी दानों में अन्नदान को श्रेष्ठ माना गया है। अतः जो व्यक्ति कल्याण की इच्छा रखता है, उसे चाहिए कि वह सच्चे मन से सर्वप्रथम अन्नदान करे॥10॥ | | Of all the donations, the donation of food is considered to be the best. Therefore, a person who desires to do good should first donate food with a sincere heart.॥10॥ |
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