श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 111: मास, पक्ष एवं तिथिसम्बन्धी विभिन्न व्रतोपवासके फलका वर्णन  »  श्लोक 65
 
 
श्लोक  13.111.65 
नास्ति वेदात् परं शास्त्रं नास्ति मातृसमो गुरु:।
न धर्मात् परमो लाभस्तपो नानशनात् परम्॥ ६५॥
 
 
अनुवाद
वेद से बढ़कर कोई शास्त्र नहीं, माता के समान कोई गुरु नहीं, धर्म से बढ़कर कोई लाभ नहीं और व्रत से बढ़कर कोई तप नहीं ॥65॥
 
There is no scripture better than the Vedas, there is no teacher like mother, there is no better benefit than religion and there is no penance better than fasting. ॥ 65॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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