श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 111: मास, पक्ष एवं तिथिसम्बन्धी विभिन्न व्रतोपवासके फलका वर्णन  »  श्लोक 50
 
 
श्लोक  13.111.50 
संवत्सरमिहैकं तु मासि मासि पिबेदप:।
फलं विश्वजितस्तात प्राप्नोति स नरो नृप॥ ५०॥
 
 
अनुवाद
तात! नरेश्वर! जो मनुष्य एक वर्ष तक प्रति माह एक बार जल पीकर जीवनयापन करता है, उसे विश्वविजयी यज्ञ का फल प्राप्त होता है ॥50॥
 
Tat! Nareshwar! The person who lives by drinking water once every month for a year gets the result of the world-conquering yagya. 50॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.