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श्लोक 13.110.19-20  |
ज्येष्ठा मातृसमा चापि भगिनी भरतर्षभ॥ १९॥
भ्रातुर्भार्या च तद्वत् स्याद्यस्या बाल्ये स्तनं पिबेत्॥ २०॥ |
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अनुवाद |
हे भरतश्रेष्ठ! बड़ी बहन भी माता के समान होती है। इसी प्रकार बड़े भाई की पत्नी और बचपन में उसे दूध पिलाने वाली धाय भी माता के समान होती हैं। |
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O best of the Bharatas! The elder sister is also like a mother. Similarly, the wife of the elder brother and the wet nurse who suckled him in his childhood are also like mothers. |
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इति श्रीमहाभारते अनुशासनपर्वणि दानधर्मपर्वणि ज्येष्ठकनिष्ठवृत्तिर्नामपञ्चाधिक शततमोऽध्याय:॥ १०५॥
इस प्रकार श्रीमहाभारत अनुशासनपर्वके अन्तर्गत दानधर्मपर्वमें बड़े और छोटे भाईका पारस्परिक बर्ताव नामक एक सौ पाँचवाँ अध्याय पूरा हुआ॥ १०५॥
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