श्री महाभारत » पर्व 13: अनुशासन पर्व » अध्याय 11: लक्ष्मीके निवास करने और न करने योग्य पुरुष, स्त्री और स्थानोंका वर्णन » श्लोक 8 |
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| | श्लोक 13.11.8  | ये चाल्पतेजोबलसत्त्वमाना:
क्लिश्यन्ति कुप्यन्ति च यत्र तत्र।
न चैव तिष्ठामि तथाविधेषु
नरेषु संगुप्तमनोरथेषु॥ ८॥ | | | अनुवाद | जिनमें तेज, बल, सात्विकता और अभिमान बहुत कम है, जो जरा-जरा सी बात पर बिगड़ जाते हैं, जिनके मन में भाव कुछ और है, परन्तु बाहर कुछ और ही दिखाई देता है, ऐसे लोगों में मैं निवास नहीं करता हूँ॥8॥ | | I do not reside in those who have very little brilliance, strength, goodness and pride, who get upset at every little thing, who have a different attitude in their mind but show something else outwardly. ॥ 8॥ |
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