श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 11: लक्ष्मीके निवास करने और न करने योग्य पुरुष, स्त्री और स्थानोंका वर्णन  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  13.11.19 
स्वाध्यायनित्येषु सदा द्विजेषु
क्षत्रे च धर्माभिरते सदैव।
वैश्ये च कृष्याभिरते वसामि
शूद्रे च शुश्रूषणनित्ययुक्ते॥ १९॥
 
 
अनुवाद
मैं वेदों के अध्ययन में तत्पर रहने वाले ब्राह्मणों, स्वधर्म में तत्पर रहने वाले क्षत्रियों, कृषि में लगे हुए वैश्यों तथा निरन्तर सेवा में तत्पर रहने वाले शूद्रों के बीच भी निवास करता हूँ॥ 19॥
 
I also reside among the Brahmins who are devoted to the study of the Vedas, the Kshatriyas who are devoted to their own religion, the Vaishyas who are engaged in agriculture and the Shudras who are devoted to constant service.॥ 19॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.