श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 100: सबके पूजनीय और वन्दनीय कौन हैं—इस विषयमें इन्द्र और मातलिका संवाद  »  श्लोक d6
 
 
श्लोक  13.100.d6 
भीष्म उवाच
तस्य तद् वचनं श्रुत्वा देवराज: शचीपति:।
यन्तारं परिपृच्छन्तं तमिन्द्र: प्रत्युवाच ह॥
 
 
अनुवाद
भीष्मजी कहते हैं - राजन्! मातलि की बात सुनकर भगवान् इन्द्र ने उपरोक्त प्रश्न पूछने वाले अपने सारथि से इस प्रकार कहा।
 
Bhishmaji says – King! Hearing what Matali said, Lord Indra said thus to his charioteer who asked the above question.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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