श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 10: अनधिकारीको उपदेश देनेसे हानिके विषयमें एक शूद्र और तपस्वी ब्राह्मणकी कथा  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  13.10.9 
नियमव्रतसम्पन्नै: समाकीर्णं तपस्विभि:।
दीक्षितैर्भरतश्रेष्ठ यताहारै: कृतात्मभि:॥ ९॥
 
 
अनुवाद
भरतश्रेष्ठ! वह आश्रम तपस्वियों, दीक्षितों, मिताहारी और नियम तथा व्रतों से युक्त जितात्मा मुनियों से भरा हुआ है॥9॥
 
Bharatshrestha! That ashram is filled with ascetics, initiates, Mitāhari and Jitātmā sages who are full of rules and fasts. 9॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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