श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 10: अनधिकारीको उपदेश देनेसे हानिके विषयमें एक शूद्र और तपस्वी ब्राह्मणकी कथा  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  13.10.6 
ब्रह्माश्रमपदे वृत्तं पार्श्वे हिमवत: शुभे।
तत्राश्रमपदं पुण्यं नानावृक्षगणायुतम्॥ ६॥
 
 
अनुवाद
यह घटना हिमालय के सुन्दर पार्श्व में घटी, जहाँ अनेक ब्राह्मण आश्रम हैं। उस प्रदेश में एक पवित्र आश्रम है, जहाँ नाना प्रकार के हरे-भरे वृक्ष उसकी शोभा बढ़ा रहे हैं॥6॥
 
This incident took place in the beautiful side of the Himalayas, where many brahmin ashrams are located. There is a holy ashram in that region where various kinds of green trees adorn it.॥ 6॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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