श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 10: अनधिकारीको उपदेश देनेसे हानिके विषयमें एक शूद्र और तपस्वी ब्राह्मणकी कथा  »  श्लोक 44-45h
 
 
श्लोक  13.10.44-45h 
अथ शून्ये पुरोधास्तु सह राज्ञा समागत:॥ ४४॥
कथाभिरनुकूलाभी राजानं चाभ्यरोचयत्।
 
 
अनुवाद
तत्पश्चात् एक दिन पुजारी राजा से एकान्त में मिला और उसे सुखद कहानियाँ सुनाकर प्रसन्न करने लगा।
 
Thereafter one day the priest met the king in private and began to please the king by narrating pleasant stories to him. 44 1/2
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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