श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 10: अनधिकारीको उपदेश देनेसे हानिके विषयमें एक शूद्र और तपस्वी ब्राह्मणकी कथा  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  13.10.29 
अथ दर्भांश्च वन्यांश्च ओषधीर्भरतर्षभ।
पवित्रमासनं चैव बृसीं च समुपानयत्॥ २९॥
 
 
अनुवाद
भरतर्षभ! तत्पश्चात् वे जंगली कुश, अन्न आदि औषधियाँ, पवित्र आसन और कुश की चटाई ले आये।
 
Bharatarshbha! Thereafter he brought wild Kusha, food etc. medicines, sacred seat and Kusha mat.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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