श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 1: युधिष्ठिरको सान्त्वना देनेके लिये भीष्मजीके द्वारा गौतमी ब्राह्मणी, व्याध, सर्प, मृत्यु और कालके संवादका वर्णन  »  श्लोक 82
 
 
श्लोक  13.1.82 
नैव त्वया कृतं कर्म नापि दुर्योधनेन वै।
कालेनैतत् कृतं विद्धि निहता येन पार्थिवा:॥ ८२॥
 
 
अनुवाद
न तो तुमने और न ही दुर्योधन ने कुछ किया है। यह सब काल (मृत्यु) का ही काम समझो, जिसके कारण सब राजा मारे गए हैं। 82.
 
Neither you nor Duryodhan has done anything. Consider all this to be the handiwork of Kaal (death), due to which all the kings have been killed. 82.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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