श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 1: युधिष्ठिरको सान्त्वना देनेके लिये भीष्मजीके द्वारा गौतमी ब्राह्मणी, व्याध, सर्प, मृत्यु और कालके संवादका वर्णन  »  श्लोक 80
 
 
श्लोक  13.1.80 
भीष्म उवाच
ततो यथागतं जग्मुर्मृत्यु: कालोऽथ पन्नग:।
अभूद् विशोकोऽर्जुनको विशोका चैव गौतमी॥ ८०॥
 
 
अनुवाद
भीष्मजी बोले, 'हे राजन! तत्पश्चात काल, मृत्यु और सर्प जैसे आये थे वैसे ही चले गये; तथा अर्जुन और ब्राह्मणी गौतमी का शोक भी जाता रहा।
 
Bhishmaji said, 'O King! Thereafter, time, death and the serpent went away just as they had come; and the grief of Arjuna and the Brahmini Gautami also went away.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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