यथा च्छायातपौ नित्यं सुसम्बद्धौ निरन्तरम्।
तथा कर्म च कर्ता च सम्बद्धावात्मकर्मभि:॥ ७५॥
अनुवाद
जिस प्रकार सूर्य का प्रकाश और छाया एक दूसरे के साथ निरन्तर संपर्क में रहते हैं, उसी प्रकार कर्म और कर्ता भी अपने-अपने कर्म के अनुसार एक दूसरे के संपर्क में रहते हैं ॥ 75॥
Just as the sunlight and the shadow are constantly in touch with each other, similarly the action and the doer are in touch with each other according to their karma. ॥ 75॥