श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 1: युधिष्ठिरको सान्त्वना देनेके लिये भीष्मजीके द्वारा गौतमी ब्राह्मणी, व्याध, सर्प, मृत्यु और कालके संवादका वर्णन  »  श्लोक 73
 
 
श्लोक  13.1.73 
कर्मदायादवाँल्लोक: कर्मसम्बन्धलक्षण:।
कर्माणि चोदयन्तीह यथान्योन्यं तथा वयम्॥ ७३॥
 
 
अनुवाद
इस संसार में कर्म ही पुत्र-पौत्रों के समान मनुष्यों का अनुसरण करता है। कर्म ही दुःख-सुख के सम्बन्ध का सूचक है। इस संसार में जिस प्रकार कर्म एक-दूसरे को प्रेरित करते हैं, उसी प्रकार हम भी कर्म से प्रेरित होते हैं॥ 73॥
 
In this world, it is karma that follows men like their sons and grandsons. Karma is the indicator of the relation between sorrow and happiness. In this world, just as karma inspires each other, we too are inspired by karma.॥ 73॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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