श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 1: युधिष्ठिरको सान्त्वना देनेके लिये भीष्मजीके द्वारा गौतमी ब्राह्मणी, व्याध, सर्प, मृत्यु और कालके संवादका वर्णन  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  13.1.6 
तथा चान्ये नृपतय: सहपुत्रा: सबान्धवा:।
मत्कृते निधनं प्राप्ता: किं नु कष्टतरं तत:॥ ६॥
 
 
अनुवाद
तुम्हारे अतिरिक्त और भी बहुत से राजा मेरे कारण युद्ध में अपने पुत्रों और सम्बन्धियों सहित मारे गए हैं। इससे बढ़कर दुःख की बात और क्या हो सकती है?॥6॥
 
Besides you, many other kings have died in wars along with their sons and relatives because of me. What could be more sad than this?॥ 6॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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