श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 1: युधिष्ठिरको सान्त्वना देनेके लिये भीष्मजीके द्वारा गौतमी ब्राह्मणी, व्याध, सर्प, मृत्यु और कालके संवादका वर्णन  »  श्लोक 59
 
 
श्लोक  13.1.59 
यदि काले तु दोषोऽस्ति यदि तत्रापि नेष्यते।
दोषो नैव परीक्ष्यो मे न ह्यत्राधिकृता वयम्॥ ५९॥
 
 
अनुवाद
इस विषयमें यदि काल भी दोषी है अथवा वह भी निर्दोष है तो ऐसा ही हो, मुझे किसीका दोष जाँचना नहीं है और न मुझे ऐसा करनेका अधिकार है ॥59॥
 
In this matter if time is at fault or if he is also blameless then so be it, I do not have to investigate anyone's fault and I do not have any right to do so. ॥ 59॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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