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पर्व 13: अनुशासन पर्व
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अध्याय 1: युधिष्ठिरको सान्त्वना देनेके लिये भीष्मजीके द्वारा गौतमी ब्राह्मणी, व्याध, सर्प, मृत्यु और कालके संवादका वर्णन
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श्लोक 52
श्लोक
13.1.52
सात्त्विका राजसाश्चैव तामसा ये च केचन।
भावा: कालात्मका: सर्वे प्रवर्तन्ते ह जन्तुषु॥ ५२॥
अनुवाद
सात्त्विक, राजस और तामस आदि सभी भाव काल-संबंधी हैं और काल की प्रेरणा से ही जीवों को प्राप्त होते हैं ॥ 52॥
All the emotions such as Sattvik, Rajas and Tamas are time-related and are attained by the living beings through the inspiration of time. ॥ 52॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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