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श्लोक 12.69.99  |
कृतस्य करणाद् राजा स्वर्गमत्यन्तमश्नुते।
त्रेताया: करणाद् राजा स्वर्गं नात्यन्तमश्नुते॥ ९९॥ |
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अनुवाद |
सत्ययुग की रचना करने से राजा शाश्वत स्वर्ग को प्राप्त करता है। त्रेता की रचना करने से राजा स्वर्ग को प्राप्त करता है; परन्तु वह अक्षय नहीं है ॥99॥ |
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By creating Satyayuga the king attains eternal heaven. By creating Treta, the king gets heaven; But it is not inexhaustible. 99॥ |
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