श्री महाभारत  »  पर्व 12: शान्ति पर्व  »  अध्याय 69: राजाके प्रधान कर्तव्योंका तथा दण्डनीतिके द्वारा युगोंके निर्माणका वर्णन  »  श्लोक 75
 
 
श्लोक  12.69.75 
भीष्म उवाच
महाभाग्यं दण्डनीत्या: सिद्धै: शब्दै: सहेतुकै:।
शृणु मे शंसतो राजन् यथावदिह भारत॥ ७५॥
 
 
अनुवाद
भीष्म बोले - 'हे राजन! भरतपुत्र! मैं दण्डनीति से राजा और प्रजा के लिए जो महान सौभाग्य उत्पन्न होता है, उसका वर्णन प्रजा में प्रचलित और युक्तियुक्त वचनों द्वारा कर रहा हूँ। इसे यहाँ यथावत सुनो।' 75.
 
Bhishma said, 'O King! Son of Bharat! I am describing the great good fortune that arises for the king and his subjects through the policy of punishment, in words that are popular among the people and are full of logic. Listen to it here in its original form. 75.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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