श्री महाभारत  »  पर्व 12: शान्ति पर्व  »  अध्याय 69: राजाके प्रधान कर्तव्योंका तथा दण्डनीतिके द्वारा युगोंके निर्माणका वर्णन  »  श्लोक 71
 
 
श्लोक  12.69.71 
अस्मिन्नर्थे च श्लोकौ द्वौ गीतावङ्गिरसा स्वयम्।
यादवीपुत्र भद्रं ते तावपि श्रोतुमर्हसि॥ ७१॥
 
 
अनुवाद
हे पृथापुत्र युधिष्ठिर! तुम्हारा कल्याण हो। इस विषय में स्वयं बृहस्पतिजी द्वारा कहे गए दो श्लोक सुनो ॥ 71॥
 
Yudhishthira, son of Pritha! May you be blessed. Listen to the two verses spoken by Brihaspatiji himself in this regard. ॥ 71॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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