|
|
|
श्लोक 12.69.71  |
अस्मिन्नर्थे च श्लोकौ द्वौ गीतावङ्गिरसा स्वयम्।
यादवीपुत्र भद्रं ते तावपि श्रोतुमर्हसि॥ ७१॥ |
|
|
अनुवाद |
हे पृथापुत्र युधिष्ठिर! तुम्हारा कल्याण हो। इस विषय में स्वयं बृहस्पतिजी द्वारा कहे गए दो श्लोक सुनो ॥ 71॥ |
|
Yudhishthira, son of Pritha! May you be blessed. Listen to the two verses spoken by Brihaspatiji himself in this regard. ॥ 71॥ |
|
✨ ai-generated |
|
|