श्री महाभारत  »  पर्व 12: शान्ति पर्व  »  अध्याय 69: राजाके प्रधान कर्तव्योंका तथा दण्डनीतिके द्वारा युगोंके निर्माणका वर्णन  »  श्लोक 59
 
 
श्लोक  12.69.59 
औषधानि च सर्वाणि मूलानि च फलानि च।
चतुर्विधांश्च वैद्यान् वै संगृह्णीयाद् विशेषत:॥ ५९॥
 
 
अनुवाद
मनुष्य को चाहिए कि वह सब प्रकार की औषधियाँ, मूल, पुष्प और चार प्रकार के वैद्यों को विशेष रूप से एकत्रित करे - एक जो विष को नष्ट करता है, एक जो घाव को बाँधता है, एक जो रोगों को दूर करता है और एक जो पाप कर्मों को नष्ट करता है ॥ 59॥
 
One should specially collect all kinds of medicines, roots, flowers, and four kinds of doctors - one who destroys poison, one who bandages wounds, one who cures diseases and one who destroys evil deeds. ॥ 59॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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