श्री महाभारत  »  पर्व 12: शान्ति पर्व  »  अध्याय 69: राजाके प्रधान कर्तव्योंका तथा दण्डनीतिके द्वारा युगोंके निर्माणका वर्णन  »  श्लोक 54-55
 
 
श्लोक  12.69.54-55 
भाण्डागारायुधागारान् योधागारांश्च सर्वश:।
अश्वागारान् गजागारान् बलाधिकरणानि च॥ ५४॥
परिखाश्चैव कौरव्य प्रतोलीर्निष्कुटानि च।
न जात्वन्य: प्रपश्येत गुह्यमेतद् युधिष्ठिर॥ ५५॥
 
 
अनुवाद
कुरुनन्दन युधिष्ठिर! अन्न के भण्डार, शस्त्रागार, योद्धाओं के निवास, अस्तबल, प्रांगण, सैन्य शिविर, खाई, सड़कें और राजमहल के बगीचे - ये सब स्थान गुप्त रूप से बनाए जाएँ, जिससे कोई उन्हें कभी न देख सके ॥54-55॥
 
Kurunandan Yudhishthir! Grain stores, armouries, warriors' residences, stables, courtyards, military camps, ditches, streets and gardens of the royal palace - all these places should be built secretly, so that no one else can ever see them. 54-55॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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