श्री महाभारत » पर्व 12: शान्ति पर्व » अध्याय 61: आश्रम-धर्मका वर्णन » श्लोक 2 |
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| | श्लोक 12.61.2  | वानप्रस्थं भैक्ष्यचर्यं गार्हस्थ्यं च महाश्रमम्।
ब्रह्मचर्याश्रमं प्राहुश्चतुर्थं ब्राह्मणैर्वृतम्॥ २॥ | | | अनुवाद | ब्रह्मचर्य, महाआश्रम गृहस्थ, वानप्रस्थ और भैक्ष्याचार्य (संन्यास) ये चार आश्रम हैं। चतुर्थ आश्रम संन्यास को केवल ब्राह्मणों ने ही अपनाया है॥2॥ | | Brahmacharya, Mahaashrama Grihasthya, Vanaprastha and Bhaikshyacharya (Sannyasa) are the four ashrams. Only Brahmins have adopted the fourth ashram Sannyasa.॥2॥ |
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