श्री महाभारत  »  पर्व 12: शान्ति पर्व  »  अध्याय 363: उञ्छ एवं शिलवृत्तिसे सिद्ध हुए पुरुषकी दिव्य गति  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  12.363.3 
भवश्चानेन विप्रेण संहिताभिरभिष्टुत:।
स्वर्गद्वारे कृतोद्योगो येनासौ त्रिदिवं गत:॥ ३॥
 
 
अनुवाद
इस श्रेष्ठ ब्राह्मण ने संहिता के मन्त्रों द्वारा भगवान शंकर की स्तुति की थी। इसने स्वर्ग प्राप्ति के लिए तप किया था, इसीलिए यह स्वर्ग को गया है॥3॥
 
This great Brahmin had praised Lord Shankar through the mantras of the Samhita. He had meditated to attain heaven, that is why he has gone to heaven. 3॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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