श्री महाभारत  »  पर्व 12: शान्ति पर्व  »  अध्याय 300: सांख्य और योगका अन्तर बतलाते हुए योगमार्गके स्वरूप साधन,फल और प्रभावका वर्णन  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  12.300.2 
भीष्म उवाच
सांख्या: सांख्यं प्रशंसन्ति योगा योगं द्विजातय:।
वदन्ति कारणं श्रेष्ठं स्वपक्षोद्भावनाय वै॥ २॥
 
 
अनुवाद
भीष्मजी बोले - युधिष्ठिर! सांख्य के विद्वान और योग के विशेषज्ञ द्विज योग की प्रशंसा करते हैं। दोनों ही अपने-अपने पक्ष की श्रेष्ठता दर्शाने के लिए उत्तम युक्तियां प्रस्तुत करते हैं।
 
Bhishmaji said – Yudhishthir! Scholars of Sankhya and experts in Yoga praise Dwija Yoga. Both of them present the best strategies to show the excellence of their respective sides. 2॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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