श्री महाभारत  »  पर्व 12: शान्ति पर्व  »  अध्याय 228: दैत्योंको त्यागकर इन्द्रके पास लक्ष्मीदेवीका आना तथा किन सद्‍गुणोंके होनेपर लक्ष्मी आती हैं और किन दुर्गुणोंके होनेपर वे त्यागकर चली जाती हैं, इस बातको विस्तारपूर्वक बताना  »  श्लोक 87-88
 
 
श्लोक  12.228.87-88 
शुचौ वाभ्यर्थिते देशे त्रिदशा: प्रायश: स्थिता:॥ ८७॥
लक्ष्मीसहितमासीनं मघवन्तं दिदृक्षव:॥ ८८॥
 
 
अनुवाद
प्रायः सभी देवता राजलक्ष्मी सहित भगवान इन्द्र का दर्शन करने के लिए उस परम पवित्र एवं इच्छित क्षेत्र में आये।
 
Almost all the gods arrived in that most sacred and desired region to have the darshan of Lord Indra along with Rajlakshmi. 87-88.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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