श्री महाभारत  »  पर्व 12: शान्ति पर्व  »  अध्याय 224: बलि और इन्द्रका संवाद, बलिके द्वारा कालकी प्रबलताका प्रतिपादन करते हुए इन्द्रको फटकारना  »  श्लोक 50
 
 
श्लोक  12.224.50 
भूतानां तु विपर्यासं कुरुते भगवानिति।
न ह्येतावद् भवेद् गम्यं न यस्मात् प्रभवेत् पुन:॥ ५०॥
 
 
अनुवाद
भगवान काल ही समस्त प्राणियों की दशा बदलने वाले हैं। उनकी महानता को कोई नहीं समझ पाता। काल के प्रताप से पराजित होकर मनुष्य कुछ भी करने में असमर्थ है ॥50॥
 
It is Lord Kaal who changes the condition of all living beings. No one is able to understand his greatness. Defeated by the greatness of Kaal, man is unable to do anything. ॥ 50॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.