श्री महाभारत  »  पर्व 12: शान्ति पर्व  »  अध्याय 13: सहदेवका युधिष्ठिरको ममता और आसक्तिसे रहित होकर राज्य करनेकी सलाह देना  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  12.13.8 
तस्मादेकान्तमुत्सृज्य पूर्वै: पूर्वतरैश्च य:।
पन्था निषेवित: सद्भि: स निषेव्यो विजानता॥ ८॥
 
 
अनुवाद
अतः बुद्धिमान् पुरुष को एकान्तवास का विचार त्याग देना चाहिए और पूर्व एवं पूर्वकालीन महापुरुषों के द्वारा अपनाए गए मार्ग का आश्रय लेना चाहिए ॥8॥
 
Therefore, a wise man should give up the thought of living in solitude and should take shelter of the path followed by the previous and very previous great men. 8॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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