श्री महाभारत  »  पर्व 12: शान्ति पर्व  »  अध्याय 13: सहदेवका युधिष्ठिरको ममता और आसक्तिसे रहित होकर राज्य करनेकी सलाह देना  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  12.13.11 
बाह्यान्तरं च भूतानां स्वभावं पश्य भारत।
ये तु पश्यन्ति तद् भूतं मुच्यन्ते ते महाभयात् ॥ ११॥
 
 
अनुवाद
भरतनंदन! जीवों का बाह्य स्वभाव एक है और आन्तरिक स्वभाव दूसरी। तुम्हें इस पर ध्यान देना चाहिए। जो लोग सबके भीतर स्थित परमात्मा को देखते हैं, वे महान भय से मुक्त हो जाते हैं॥11॥
 
Bharatanandan! The external nature of living beings is one thing and the internal nature is another. You should pay attention to it. Those who see the Supreme Being present within everyone, they become free from great fear. ॥ 11॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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