श्री महाभारत  »  पर्व 12: शान्ति पर्व  »  अध्याय 13: सहदेवका युधिष्ठिरको ममता और आसक्तिसे रहित होकर राज्य करनेकी सलाह देना  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  12.13.10 
अथवा वसतो राजन् वने वन्येन जीवत:।
द्रव्येषु यस्य ममता मृत्योरास्ये स वर्तते॥ १०॥
 
 
अनुवाद
अथवा हे राजन! जो मनुष्य वन में रहता है और वन के फल-फूल खाकर अपना निर्वाह करता है, किन्तु फिर भी भौतिक वस्तुओं में आसक्ति रखता है, उसकी मृत्यु अवश्य होती है।
 
Or, O King! A man who lives in the forest and subsists on the fruits and flowers of the forest but still has attachment to material things is bound to die.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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