श्री महाभारत  »  पर्व 12: शान्ति पर्व  »  अध्याय 13: सहदेवका युधिष्ठिरको ममता और आसक्तिसे रहित होकर राज्य करनेकी सलाह देना  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  12.13.1 
सहदेव उवाच
न बाह्यं द्रव्यमुत्सृज्य सिद्धिर्भवति भारत।
शारीरं द्रव्यमुत्सृज्य सिद्धिर्भवति वा न वा॥ १॥
 
 
अनुवाद
सहदेव बोले - भरतनन्दन! केवल बाह्य द्रव्य त्यागने से सिद्धि प्राप्त नहीं होती, देह द्रव्य त्यागने से भी सिद्धि प्राप्त होती है या नहीं; इसमें संदेह है ॥1॥
 
Sahadev said – Bharatnandan! Siddhi is not achieved by merely renouncing external material, whether one attains Siddhi by renouncing bodily material also or not; There is doubt in this. 1॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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