श्री महाभारत  »  पर्व 11: स्त्री पर्व  »  अध्याय 20: गान्धारीद्वारा श्रीकृष्णके प्रति उत्तरा और विराटकुलकी स्त्रियोंके शोक एवं विलापका वर्णन  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  11.20.31 
द्रोणास्त्रशरसंकृत्तं शयानं रुधिरोक्षितम्।
विराटं वितुदन्त्येते गृध्रगोमायुवायसा:॥ ३१॥
 
 
अनुवाद
द्रोणाचार्य के बाणों से टुकड़े-टुकड़े होकर रक्त से लथपथ युद्धभूमि में पड़े राजा विराट को गिद्ध, सियार और कौवे नोच रहे हैं।
 
Vultures, jackals and crows are tearing King Virata, who is lying on the battlefield, covered in blood, after being torn to pieces by Dronacharya's arrows.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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