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श्लोक 11.20.21  |
दृष्ट्वा बहुभिराक्रन्दे निहतं त्वां पिता तव।
वीर: पुरुषशार्दूल: कथं जीवति पाण्डव:॥ २१॥ |
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अनुवाद |
‘युद्धभूमि में अनेक महारथियों द्वारा तुम्हें मारा हुआ देखकर तुम्हारे पिता वीर पाण्डव अर्जुन किस प्रकार जीवित हैं?॥ 21॥ |
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‘How is your father, the brave Pandava Arjuna, living after seeing you killed by so many great warriors on the battlefield?॥ 21॥ |
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