श्री महाभारत  »  पर्व 11: स्त्री पर्व  »  अध्याय 20: गान्धारीद्वारा श्रीकृष्णके प्रति उत्तरा और विराटकुलकी स्त्रियोंके शोक एवं विलापका वर्णन  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  11.20.13 
व्यायम्य बहुधा नूनं सुखसुप्त: श्रमादिव।
एवं विलपतीमार्तां न हि मामभिभाषसे॥ १३॥
 
 
अनुवाद
‘तुम निश्चय ही शान्ति से सो रहे हो, मानो बहुत परिश्रम करके थक गए हो। मैं इस प्रकार पीड़ा से रो रहा हूँ, परन्तु तुम मुझसे बोलते भी नहीं हो।॥13॥
 
‘You are surely sleeping peacefully, as if you have worked so hard and are tired. I am crying in pain like this, but you do not even speak to me.॥ 13॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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