श्री महाभारत  »  पर्व 11: स्त्री पर्व  »  अध्याय 20: गान्धारीद्वारा श्रीकृष्णके प्रति उत्तरा और विराटकुलकी स्त्रियोंके शोक एवं विलापका वर्णन  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  11.20.12 
मातङ्गभुजवर्ष्माणौ ज्याक्षेपकठिनत्वचौ।
काञ्चनाङ्गदिनौ शेते निक्षिप्य विपुलौ भुजौ॥ १२॥
 
 
अनुवाद
आप अपनी विशाल भुजाओं के साथ सो रहे हैं, जो हाथी की सूंड के समान बड़ी हैं, जिनकी त्वचा धनुष की प्रत्यंचा के निरंतर घर्षण से कठोर हो गई है, और जो सोने के कंगन पहने हुए हैं॥ 12॥
 
'You are sleeping with your huge arms, which are as big as an elephant's trunk, whose skin has become hard due to the constant rubbing of the bowstring, and which wear golden bracelets.॥ 12॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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