श्री महाभारत  »  पर्व 11: स्त्री पर्व  »  अध्याय 15: भीमसेनका गान्धारीको अपनी सफाई देते हुए उनसे क्षमा माँगना, युधिष्ठिरका अपना अपराध स्वीकार करना, गान्धारीके दृष्टिपातसे युधिष्ठिरके पैरोंके नखोंका काला पड़ जाना, अर्जुनका भयभीत होकर श्रीकृष्णके पीछे छिप जाना, पाण्डवोंका अपनी मातासे मिलना, द्रौपदीका विलाप, कुन्तीका आश्वासन तथा गान्धारीका उन दोनोंको धीरज बँधाना  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  11.15.9 
तदैव वध्य: सोऽस्माकं दुराचारश्च ते सुत:।
धर्मराजाज्ञया चैव स्थिता: स्म समये तदा॥ ९॥
 
 
अनुवाद
हमें उसी समय आपके दुष्ट पुत्र को मार डालना चाहिए था; परंतु धर्मराज की आज्ञा से समय की बाध्यता के कारण हम चुप रहे॥9॥
 
'We should have killed your wicked son at that time itself; but by the order of Dharmaraja, we remained silent due to the constraints of time.॥ 9॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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