श्री महाभारत  »  पर्व 11: स्त्री पर्व  »  अध्याय 15: भीमसेनका गान्धारीको अपनी सफाई देते हुए उनसे क्षमा माँगना, युधिष्ठिरका अपना अपराध स्वीकार करना, गान्धारीके दृष्टिपातसे युधिष्ठिरके पैरोंके नखोंका काला पड़ जाना, अर्जुनका भयभीत होकर श्रीकृष्णके पीछे छिप जाना, पाण्डवोंका अपनी मातासे मिलना, द्रौपदीका विलाप, कुन्तीका आश्वासन तथा गान्धारीका उन दोनोंको धीरज बँधाना  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  11.15.7 
सुयोधनमसंगृह्य न शक्या भू: ससागरा।
केवला भोक्तुमस्माभिरतश्चैतत् कृतं मया॥ ७॥
 
 
अनुवाद
दुर्योधन को मारे बिना हम पृथ्वी का राज्य बिना किसी बाधा के भोग नहीं सकते थे, इसलिए मैंने यह अयोग्य कार्य किया।
 
'Without killing Duryodhana we would not be able to enjoy the kingdom of the earth without any hindrance, so I committed this unworthy act.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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