श्री महाभारत  »  पर्व 11: स्त्री पर्व  »  अध्याय 15: भीमसेनका गान्धारीको अपनी सफाई देते हुए उनसे क्षमा माँगना, युधिष्ठिरका अपना अपराध स्वीकार करना, गान्धारीके दृष्टिपातसे युधिष्ठिरके पैरोंके नखोंका काला पड़ जाना, अर्जुनका भयभीत होकर श्रीकृष्णके पीछे छिप जाना, पाण्डवोंका अपनी मातासे मिलना, द्रौपदीका विलाप, कुन्तीका आश्वासन तथा गान्धारीका उन दोनोंको धीरज बँधाना  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  11.15.22 
संतानमावयोस्तात वृद्धयोर्हृतराज्ययो:।
कथमन्धद्वयस्यास्य यष्टिरेका न वर्जिता॥ २२॥
 
 
अनुवाद
पिता जी! हम दोनों वृद्ध हो गए हैं। आपने हमारा राज्य भी छीन लिया है। ऐसी स्थिति में आपने हमारे एकमात्र पुत्र को जीवित क्यों नहीं छोड़ा, जो हम दोनों अंधों को एक ही लाठी से सहारा दे सकता था?॥ 22॥
 
Father! We both have grown old. You have taken away our kingdom as well. In such a condition, why did you not leave our only child alive - the one who could support us two blind people with only one stick?॥ 22॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.