श्री महाभारत  »  पर्व 11: स्त्री पर्व  »  अध्याय 15: भीमसेनका गान्धारीको अपनी सफाई देते हुए उनसे क्षमा माँगना, युधिष्ठिरका अपना अपराध स्वीकार करना, गान्धारीके दृष्टिपातसे युधिष्ठिरके पैरोंके नखोंका काला पड़ जाना, अर्जुनका भयभीत होकर श्रीकृष्णके पीछे छिप जाना, पाण्डवोंका अपनी मातासे मिलना, द्रौपदीका विलाप, कुन्तीका आश्वासन तथा गान्धारीका उन दोनोंको धीरज बँधाना  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  11.15.19 
क्षत्रधर्माच्च्युतो राज्ञि भवेयं शाश्वती: समा:।
प्रतिज्ञां तामनिस्तीर्य ततस्तत् कृतवानहम्॥ १९॥
 
 
अनुवाद
रानी! यदि मैं वह वचन पूरा न करता तो क्षत्रिय धर्म से सदा के लिए च्युत हो जाता, इसीलिए मैंने ऐसा किया।
 
Queen! If I had not fulfilled that promise, I would have fallen from the kshatriya dharma forever, that is why I did this.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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