श्री महाभारत  »  पर्व 11: स्त्री पर्व  »  अध्याय 15: भीमसेनका गान्धारीको अपनी सफाई देते हुए उनसे क्षमा माँगना, युधिष्ठिरका अपना अपराध स्वीकार करना, गान्धारीके दृष्टिपातसे युधिष्ठिरके पैरोंके नखोंका काला पड़ जाना, अर्जुनका भयभीत होकर श्रीकृष्णके पीछे छिप जाना, पाण्डवोंका अपनी मातासे मिलना, द्रौपदीका विलाप, कुन्तीका आश्वासन तथा गान्धारीका उन दोनोंको धीरज बँधाना  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  11.15.11 
वैरस्यास्य गता: पारं हत्वा दुर्योधनं रणे।
राज्यं युधिष्ठिर: प्राप्तो वयं च गतमन्यव:॥ ११॥
 
 
अनुवाद
रणभूमि में दुर्योधन को मारकर हमने इस शत्रुता को दूर कर लिया है। राजा युधिष्ठिर को राज्य वापस मिल गया है और हमारा क्रोध शांत हो गया है।॥11॥
 
'By killing Duryodhana on the battlefield we have overcome this enmity. King Yudhishthira got the kingdom back and our anger has been appeased.'॥ 11॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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