श्री महाभारत  »  पर्व 10: सौप्तिक पर्व  »  अध्याय 8: अश्वत्थामाके द्वारा रात्रिमें सोये हुए पांचाल आदि समस्त वीरोंका संहार तथा फाटकसे निकलकर भागते हुए योद्धाओंका कृतवर्मा और कृपाचार्य द्वारा वध  »  श्लोक 31-33h
 
 
श्लोक  10.8.31-33h 
स्त्रियस्तु राजन् वित्रस्ता भारद्वाजं निरीक्ष्य ता:॥ ३१॥
अब्रुवन् दीनकण्ठेन क्षिप्रमाद्रवतेति वै।
राक्षसो वा मनुष्यो वा नैनं जानीमहे वयम्॥ ३२॥
हत्वा पाञ्चालराजानं रथमारुह्य तिष्ठति।
 
 
अनुवाद
राजन! अश्वत्थामा को देखकर वे सब स्त्रियाँ अत्यन्त भयभीत हो गईं; अतः वे करुण स्वर में बोलीं - 'अरे! शीघ्र भागो! शीघ्र भागो! हम समझ नहीं पातीं कि वह राक्षस है या मनुष्य। देखो, वह पांचाल राजा को मारकर रथ पर खड़ा है।'॥31-32 1/2॥
 
King! All those women were very frightened on seeing Ashwatthama; so they said in a pitiful voice - 'Hey! Run quickly! Run quickly! We cannot understand whether he is a demon or a human. Look, he is standing on a chariot after killing the Panchal king'॥ 31-32 1/2॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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