श्री महाभारत  »  पर्व 10: सौप्तिक पर्व  »  अध्याय 8: अश्वत्थामाके द्वारा रात्रिमें सोये हुए पांचाल आदि समस्त वीरोंका संहार तथा फाटकसे निकलकर भागते हुए योद्धाओंका कृतवर्मा और कृपाचार्य द्वारा वध  »  श्लोक 14-15h
 
 
श्लोक  10.8.14-15h 
तं शयानं महात्मानं विश्रब्धमकुतोभयम्॥ १४॥
प्राबोधयत पादेन शयनस्थं महीपते।
 
 
अनुवाद
भूपाल! अश्वत्थामा ने निश्चिन्त और निर्भय होकर शय्या पर सोये हुए महाबुद्धिमान धृष्टद्युम्न को पैर मारकर जगा दिया॥14 1/2॥
 
Bhupal! Ashwatthama, being carefree and fearless, woke up the great-minded Dhrishtadyumna who was sleeping on the bed by kicking his foot. 14 1/2॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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