श्री महाभारत  »  पर्व 10: सौप्तिक पर्व  »  अध्याय 8: अश्वत्थामाके द्वारा रात्रिमें सोये हुए पांचाल आदि समस्त वीरोंका संहार तथा फाटकसे निकलकर भागते हुए योद्धाओंका कृतवर्मा और कृपाचार्य द्वारा वध  »  श्लोक 120-121h
 
 
श्लोक  10.8.120-121h 
यक्षरक्ष:समाकीर्णे रथाश्वद्विपदारुणे॥ १२०॥
क्रुद्धेन द्रोणपुत्रेण संछन्ना: प्रापतन् भुवि।
 
 
अनुवाद
यक्षों और राक्षसों से भरी हुई तथा रथों, घोड़ों और हाथियों से भयानक प्रतीत होने वाली उस रणभूमि में क्रुद्ध द्रोणपुत्र के हाथों से कटकर बहुत से क्षत्रिय भूमि पर पड़े हुए थे।
 
In the battlefield that was filled with Yakshas and demons and looked fearsome with chariots, horses and elephants, many Kshatriyas were lying on the ground after being cut by the hands of the enraged son of Drona. 120 1/2.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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