श्री महाभारत  »  पर्व 10: सौप्तिक पर्व  »  अध्याय 8: अश्वत्थामाके द्वारा रात्रिमें सोये हुए पांचाल आदि समस्त वीरोंका संहार तथा फाटकसे निकलकर भागते हुए योद्धाओंका कृतवर्मा और कृपाचार्य द्वारा वध  »  श्लोक 112-113h
 
 
श्लोक  10.8.112-113h 
कांश्चिद् योधान् स खड्गेन मध्ये संछिद्य वीर्यवान्॥ ११२॥
अपातयद् द्रोणपुत्र: संरब्धस्तिलकाण्डवत्।
 
 
अनुवाद
क्रोध में भरकर महाबली द्रोणपुत्र ने अपनी तलवार से कुछ योद्धाओं को तिलों के समान काट डाला ॥112 1/2॥
 
Filled with anger, the mighty son of Drona cut down some warriors with his sword like the stalks of sesame seeds. 112 1/2॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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