श्री महाभारत  »  पर्व 1: आदि पर्व  »  अध्याय 174: वसिष्ठजीके अद्‍भुत क्षमा-बलके आगे विश्वामित्रजीका पराभव  »  श्लोक d11
 
 
श्लोक  1.174.d11 
गन्धर्व उवाच
विश्वामित्रस्तथा चोक्तो वसिष्ठेन नराधिप।
नोवाच किंचिद् व्रीडाढॺो विद्रावितमहाबल:॥ )
 
 
अनुवाद
गंधर्व कहते हैं- हे राजन! विश्वामित्र की वह विशाल सेना मार भगाई जा चुकी थी। जब वसिष्ठ ने उन्हें पूर्वोक्त प्रकार से ललकारा, तो वे लज्जित होकर कोई उत्तर न दे सके।
 
Gandharva says- O King! That huge army of Vishwamitra had been driven away. When Vasishtha challenged them in the aforementioned manner, they were ashamed and could not give any reply.
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.